कम्प्यूटर अपना कार्य करने के लिए विभिन्न डिवाइसों तथा प्रोग्राम्स का सहारा लेता है. इन डिवाइसों तथा प्रोग्राम्स को संभालने के लिए भी एक अलग और विशेष कम्प्यूटर प्रोग्राम होता है. Show
इस विशेष तथा मास्टर प्रोग्राम को ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम से जाना जाता है. जो कम्प्यूटर सिस्टम में जान फूंकता है. इस प्रोग्राम के बिना कम्प्यूटर मृत बॉक्स के समान है. इसलिए, इस बेहद जरुरी कम्प्यूटर प्रोग्राम के बारे में बेसिक जानकारी सभी कम्प्यूटर यूजर्स को होनी चाहिए. तभी, कम्प्यूटर का उपयोग सही ढ़ंग से करने में मदद मिलेगी. इस लेख में हम आपको Operating System की पूरी जानकारी देंगे. अध्ययन की सुविधा के लिए हमने इस लेख को निम्न भागों में बांटा हैं. Table of ContentOperating System छोटे रूप मे इसे OS कहते है, एक ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम होता है, जो अन्य कम्प्यूटर प्रोग्रामों का संचालन करता है. ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोक्ता (Users) तथा कम्प्यूटर सिस्टम के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है. यह हमारे निर्देशो को कम्प्यूटर को समझाता है. Operating System के द्वारा अन्य Software प्रोग्राम तथा Hardware का संचालन किया जाता है. Operating System के बिना कम्प्यूटर एक निर्जीव वस्तु होता है. क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम बेजान हार्डवेयर को काम करने लायक बनाता है और हार्डवेयर के ऊपर अन्य सॉफ्टवेयर प्रोग्राम्स को भी चलने लायक सुविधा प्रदान करता हैं. मुख्य सवाल यह है कि ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यक्ता क्यों पड़ती है, एक कम्प्यूटर सिस्टम के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम का क्या महत्व है? आइए, नीचे इन्ही सवालों को समझने का प्रयास करते हैं. Operating System की आवश्यकता एवं कार्ययह मास्टर प्रोग्राम (Operating System) संपूर्ण कम्प्यूटर का नियंत्रण एवं संचालन करता है. इसी के द्वारा कम्प्यूटर का प्रबंधन किया जाता है. Operating System उपयोगकर्ता को कम्प्यूटर पर आसानी से कार्य करने कि योग्यता देता है. Operating System और कम्प्यूटर के संबंधो को एक आरेख चित्र (Flow Chart) के माध्यम से समझा जा सकता है. कम्प्यूटर सिस्टम यूजर द्वारा प्रविष्ठ डेटा को बाइनरी सख्या (0,1) में ही समझता है. लेकिन, यूजर के लिए बाइनरी में निर्देश देना संभव नहीं है. इसलिए, यूजर इंटरफेस को उसकी भाषा में ही तैयार करने की सहुलियत ऑपरेटिंग सिस्टम से मिलती है. इसलिए, हम और आप अपनी खुद की भाषा में कम्प्यूटर को निर्देश देखर मनचाहा काम करवा लेते है. यह सब संभव होता है ऑएस के द्वारा. #2 हार्डवेयर सूचनाओं को छिपा लेता हैजब यूजर कम्प्यूटर को निर्देश देता है तो हार्डवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम के बीच जो वार्तालाप होती है. उसके बारे में हम यानि एण्ड यूजर को पता नही चलता है. क्योंकि, यह जानकारी हमारे लिए अनुपयोगी होती है. इसलिए, इसे छिपा दिय जाता है. इस प्रकार हमे केवल जवाब और आउटपुट ही दिखाई देता है. हमारे द्वारा दिया गया इनपुट से की प्रोसेसिंग हमें दिखाई नही जाती है. यह सबकुछ हार्डवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम के बीच ही घटित हो जाता है. इसका फायदा यह होता है कि यूजर्स का सामना हार्डवेयर की भारी भरकम सुचनाओं से नहीं होता. #3 सरल माध्यम उपलब्ध करवाता हैआधुनिक ऑपरेटिंग सिस्टम GUI (Graphical User Interface) पर आधारित है. यानि, कमांड देने के लिए किसी भी प्रकार की कोडिंग अथवा प्रोग्रामिंग की जरूरत नहीं पड़ती है. आप जिस काम को करना चाहते है उसे बटन अथवा आइकन के जरिए ही पूर्ण कर पाते हैं. आपके डेस्कटॉप आइकन इसका सबसे बढ़िया उदाहरण है. यहां से आपको कम्प्यूटर फाइल पर जाना हो तो आप बस My Computer आइकन पर क्लिक करते है. और पहुँच जाते हैं. शुरुआती, कमांड लाइन इंटरफेस (जो आज भी कई ऑपरेटिंग सिस्टम्स में इस्तेमाल होता है) की तुलना में ग्राफिक्ल यूजर इंटरफेस ज्यादा सरल, यूजर फ्रेंडली तथा प्रभावकारी साबित हुआ है. शायद यहीं कारण है कि इसके लिए कम्प्यूटर यूजर्स पैसा चुकाने के लिए तैयार है. #4 मध्यस्था करता हैऑपरेटिंग सिस्टम का एक काम मध्यस्था करना भी होता है. यह यूजर तथा हार्डवेयर के बीच की कड़ी है. यूजर जो भी निर्देश कम्प्यूटर को देता है. वह ऑपरेटिंग सिस्टम के रास्ते ही संबंधित हार्डवेयर तक पहुँचता है. मान लिजिए, आप कम्प्यूटर में गाना बजाना चाहते है तो आप गाना प्ले करते है. यह निर्देश आपने कम्प्यूटर सिस्टम में इंस्टॉल ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिए दिया है. इस निर्देश को ऑएस आवाज हार्डवेयर यानि स्पीकर को पहुँचाता है. और इस तरह आपको आवाज के रुप में आउटपुट मिलता है. #5 संसाधनों का प्रबंधन करता हैआपके कम्प्यूटर सिस्टम में मौजूद संसाधनों का प्रबंधन तथा आवंटन भी ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा ही किया जाता है. किसी कार्य विशेष को करने के लिए कितनी मेमोरी आवंटिंत करनी है किस हार्डवेयर को सूचना देनी है. यह सभी कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है. मान लिजिए, आप एक 3 एम बी का गाना नए फोल्डर में डाउनलोड करना चाहते है तो ऑपरेटिंग सिस्टम पहले इस फोल्डर के लिए 3 एम बी जगह देगा फिर फाइल मैनेजर इस काम को करेगा. Operating System के विभिन्न प्रकार – Types of Operating System in HindiOperating System हमेशा से ही कम्प्यूटर के साथ रहे है. जैसे-जैसे कम्प्यूटर ने विकास किया वैसे ही Operating System भी अपने आप को विकसित करते गए. Operating System को कई श्रेणीयों में बाँटा गया है. लेकिन, हम यहाँ Operating System के कुछ प्रमुख प्रकारों को जानेंगे. 1. Multi-user Operating Systemयह Operating System एक से अधिक उपयोगकर्ताओं को एक साथ कार्य करने की सुविधा प्रदान करता है. इस Operating System पर एक समय में सैकड़ों उपयोगकर्ता अपना-अपना कार्य कर सकते है. 2. Single-user Operating Systemइसके विपरीत Single-user Operating System एक समय में सिर्फ एक ही उपयोगकर्ता को कार्य करने देता है. इस Operating System पर एक समय में कई उपयोगकर्ता कार्य नही कर सकते है. 3. Multitasking Operating Systemयह Operating System उपयोगकर्ता को एक साथ कई अलग-अलग प्रोग्राम्स को चलाने की सुविधा देता है. इस Operating System पर आप एक समय में E-mail भी लिख सकते है और साथ ही अपने मित्रों से Chat भी कर सकते है. 4. Multi Processing Operating Systemयह Operating System एक प्रोग्राम को एक से अधिक CPU पर चलाने की सुविधा देता है. 5. Multi Threading Operating Systemयह Operating System एक प्रोग्राम के विभिन्न भागों को एक साथ चलाने देता है. 6. Real Time Operating SystemReal Time Operating System उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए Input पर तुरंत प्रक्रिया करता है. Windows Operating System इसका सबसे अच्छा उदाहरण है. Operating System कम्प्यूटर के लिए बहुत ही आवश्यक प्रोग्राम है. इसके बिना कम्प्यूटर एक निर्जीव वस्तु मात्र है, यह कहना गलत नही है. Operating System के बिना कम्प्यूटर को उपयोग करना बहुत ही कठिन कार्य साबित हो सकता है. Operating System और कम्प्यूटर के संबंधो को समझने के लिए ऊपर दिए गए आरेख को समझ सकते है. ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएँ – Characteristics of Operating System in Hindi
प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम
आपने क्या सीखा?इस लेख में हमने जाना कि कम्प्यूटर के हार्डवेयर तथा अन्य संसाधनों का सचालन Operating System के द्वारा किया जाता है. इसके अलावा Operating System की आवश्यकता और उसके कुछ श्रेणीयों से भी अवगत हुए. हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ है. यदि आपको कोई शंका है या कोई अन्य सवाल है तो आप कमेंट के जरिए पूछ सकते है. साथ में इस लेख सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें. #BeDigital — और ट्युटोरियल — |